Raksha Bandhan
Raksha Bandhan: भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र उत्सव
रक्षा बंधन, जिसे देशभर में “राखी पूर्णिमा”, “राखी”, या “राखरी” के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। यह त्योहार हर साल श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसकी विशेषता बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधने की होती है। इस लेख में हम रक्षा बंधन के महत्व, इसके इतिहास, और इसके विभिन्न पहलुओं को सरल और विस्तृत तरीके से जानेंगे।
Raksha Bandhan का महत्व
रक्षा बंधन के दिन, बहन अपने भाई की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। यह धागा भाई की सुरक्षा और लंबी उम्र की कामना का प्रतीक होता है। रक्षा बंधन का ‘बंधन’ भाग सुरक्षा या ‘रक्षा’ को दर्शाता है, जो बहन अपने भाई से चाहती है। यह एक भावनात्मक बंधन है जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है और उनके बीच प्यार और सहयोग की भावना को बढ़ाता है।
Raksha Bandhan का इतिहास और पौराणिक कथाएँ
रक्षा बंधन की परंपरा का इतिहास बहुत पुराना है और इसे हिंदू पौराणिक कथाओं से जोड़ा जाता है। एक प्रमुख कहानी के अनुसार, भगवान इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने अपने पति की कलाई पर एक धागा बांधा था, जब वह राक्षसों से लड़ने के लिए गए थे। इस धागे ने सुरक्षा और संजीवनी शक्ति का प्रतीक बन गया, जिसे भाई-बहन के रिश्ते में लागू किया गया।
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण के हाथ से खून बह रहा था जब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उन्हें बांध दिया। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी से वादा किया कि वह हर स्थिति में उसकी रक्षा करेंगे। इस घटना के बाद, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उसकी रक्षा की, जो इस त्योहार के महत्व को और भी बढ़ाता है।
Raksha Bandhan का विविध रूप
रक्षा बंधन का त्योहार केवल बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधने तक सीमित नहीं है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस परंपरा का अलग-अलग रूप देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश जैसे कुछ क्षेत्रों में, बहनें अपनी भाभी को भी राखी बांधती हैं, जिसे ‘लुंबा राखी’ कहते हैं। इसके अतिरिक्त, जो बहनें अपनी बहनों के साथ रहती हैं, वे भी एक-दूसरे को राखी बांधती हैं, जो भाई-बहन के रिश्ते की तरह महत्वपूर्ण होता है।
नारियल पूर्णिमा और महाराष्ट्र की परंपराएँ
Raksha Bandhan श्रावण के आखिरी दिन पड़ता है, जो नारियल पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। भक्त समुद्र में प्रार्थना करके भगवान विष्णु को सम्मान देते हैं और नारियल का उपयोग करते हैं। महाराष्ट्र में रक्षा बंधन को नारियल पूर्णिमा के रूप में मनाने की अपनी खास परंपरा है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ाती है।
समाज में रक्षा बंधन की भूमिका
हरियाणा में रक्षा बंधन के दिन महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की व्यवस्था की जाती है, ताकि वे आसानी से अपने भाइयों के घर जा सकें और त्योहार मना सकें। अठारह वर्ष या उससे कम उम्र के पुरुष भी महिला के साथ मुफ्त यात्रा कर सकते हैं, जो समाज में भाई-बहन के रिश्ते की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
वैश्विक स्तर पर रक्षा बंधन
रक्षा बंधन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में भी मनाया जाता है। अमेरिका, श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में भी यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की खूबसूरत भावना को वैश्विक स्तर पर फैलाने में मदद करता है।
अन्य धर्मों द्वारा Raksha Bandhan
रक्षा बंधन मुख्य रूप से हिंदू और जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन यह त्योहार मुस्लिम, सिख, बौद्ध और ईसाई समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग इस त्योहार को अपने तरीके से मनाते हैं, जो इसकी व्यापकता और स्वीकार्यता को दर्शाता है।
रवींद्रनाथ टैगोर और रक्षा बंधन
रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्होंने 1905 के बंगाल विभाजन के दौरान हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए रक्षा बंधन के त्योहार का उपयोग किया। उनकी यह पहल समाज में भाईचारे और एकता का महत्वपूर्ण संदेश देती है।
इस साल रक्षाबंधन कब है ?
साल 2024 में रक्षाबंधन 19 अगस्त को है और इस दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से रात 9 बजकर 8 मिनट तक है.
निष्कर्ष
रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और मजबूती को मनाता है। यह न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह त्योहार पारंपरिक मान्यताओं, पौराणिक कथाओं, और सामाजिक परंपराओं के मिश्रण से बना है, जो इसे एक विशेष और अमूल्य पर्व बनाता है।
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