Aman Sehrawat Bronze Medal Match
The 21-year-old wrestler wins a bronze in his first Olympic Games! 🥉
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए रेसलिंग का मेडल आखिरकार अमन सहरावत के हाथों से आया, जिन्होंने अपने डेब्यू ओलंपिक में ही 57 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। 21 साल के इस युवा पहलवान ने पुअर्तो रिको के रेसलर को 13-5 से हराकर भारत के लिए छठा मेडल जीता, जो इस ओलंपिक में भारत का पांचवां ब्रॉन्ज मेडल भी है। इस उपलब्धि के साथ ही अमन सहरावत ओलंपिक में व्यक्तिगत इवेंट में मेडल जीतने वाले सबसे युवा भारतीय भी बन गए हैं।
मुकाबले की शुरुआत और अमन की वापसी
ब्रॉन्ज मेडल मैच की शुरुआत में पुअर्तो रिको के क्रूज ने अमन को मैट से बाहर कर एक पॉइंट लिया। लेकिन अमन ने जल्द ही लेग अटैक करते हुए दो पॉइंट हासिल किए। पहले पीरियड में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला चला, जहां क्रूज ने 3-2 की बढ़त ले ली थी। हालांकि, अमन ने फिर से वापसी करते हुए 4-3 की बढ़त ली। दूसरे पीरियड में अमन ने स्कोर को 6-3 तक पहुंचाया और फिर लगातार 7 पॉइंट्स हासिल कर 13-5 से ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया।
ओलंपिक डेब्यू में दमदार प्रदर्शन
यह अमन सहरावत का पहला ओलंपिक था, और उन्होंने इसे यादगार बना दिया। उन्होंने अपने पहले मुकाबले में ही मेसिडोनिया के व्लादिमिर इगोरोव को 10-0 से हराकर शानदार शुरुआत की। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्होंने अल्बानिया के जेलिमखान अबाकरोव को 12-0 से हराते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई। सेमीफाइनल में हालांकि उन्हें जापान के वर्ल्ड नंबर-1 रेइ हिगुची से 10-0 से हार का सामना करना पड़ा, जिससे फाइनल में पहुंचने की उनकी उम्मीदें समाप्त हो गईं। लेकिन उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल मैच में शानदार वापसी की और यह मेडल अपने नाम कर लिया।
अपने गुरु को हराकर पहुंचे ओलंपिक
अमन सहरावत की इस सफलता की खास बात यह है कि उन्होंने ओलंपिक में पहुंचने के लिए अपने गुरु रवि दहिया को नेशनल ट्रायल्स में हराया। रवि दहिया, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में सिल्वर मेडल जीता था, अमन के साथ ही दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग करते थे। अमन ने उन्हें हराकर ओलंपिक का टिकट हासिल किया और अपने डेब्यू ओलंपिक में ही ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।
रेसलिंग में भारत की निरंतर सफलता
अमन सहरावत की इस उपलब्धि के साथ ही भारत ने रेसलिंग में लगातार 5वें ओलंपिक में मेडल जीता है। बीजिंग 2008 में सुशील कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इस सिलसिले की शुरुआत की थी। इसके बाद लंदन 2012 में सुशील ने सिल्वर और योगेश्वर दत्त ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। रियो 2016 में साक्षी मलिक ने ब्रॉन्ज जीतकर ओलंपिक पोडियम पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। टोक्यो 2020 में रवि दहिया ने 57 किलो कैटेगरी में सिल्वर और बजरंग पुनिया ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। अब पेरिस 2024 में अमन सहरावत ने इस परंपरा को जारी रखते हुए भारत को गर्वान्वित किया है।
अमन सहरावत की प्रेरणादायक यात्रा
अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक ट्रेनिंग मिट्टी के अखाड़े में हुई, लेकिन 2012 के लंदन ओलंपिक में सुशील कुमार की सफलता से प्रेरित होकर वे 10 साल की उम्र में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग के लिए आए। दुर्भाग्यवश, 11 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया। लेकिन इस कठिन समय के बावजूद, अमन ने हार नहीं मानी और अपने संघर्षों को अपनी ताकत बनाकर आगे बढ़ते गए।
2022 में उन्होंने U23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और 2023 में एशियन चैंपियन बने। पेरिस ओलंपिक 2024 में उन्होंने अपने इस सफर को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया और भारतीय रेसलिंग का भविष्य उज्ज्वल कर दिया। उनकी यह सफलता देश के हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाती है कि संघर्षों से भरी राह में भी जीत का सफर तय किया जा सकता है।
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