बांग्लादेश की लौह महिला
शेख हसीना वाजिद, जिन्हें आमतौर पर शेख हसीना के नाम से जाना जाता है, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री और अवामी लीग पार्टी की अध्यक्ष हैं। उनका जन्म 28 सितंबर 1947 को हुआ था। वे बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति, शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। शेख हसीना को उनकी राजनीतिक दृढ़ता, नेतृत्व क्षमता, और देश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
शेख हसीना का जन्म तुंगीपारा, गोपालगंज जिले में हुआ था। वे शेख मुजीबुर रहमान और फजिलातुन्नेसा मुजीब की सबसे बड़ी बेटी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बांग्लादेश में ही प्राप्त की और फिर ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की।
राजनीतिक जीवन
शेख हसीना ने 1981 में अवामी लीग की अध्यक्षता संभाली और तब से वे पार्टी की प्रमुख हैं। उनके नेतृत्व में, पार्टी ने 1996, 2008, 2014, और 2018 के आम चुनावों में जीत हासिल की। 1996 में, वे पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं और फिर 2009 से लगातार इस पद पर बनी हुई हैं।
उनके नेतृत्व में, बांग्लादेश ने महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। देश ने गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार देखा है। इसके अलावा, उनकी सरकार ने बांग्लादेश को एक मध्यम आय वाला देश बनाने के लिए कई योजनाएं और परियोजनाएं शुरू की हैं।
शेख हसीना के पिता: शेख मुजीबुर रहमान
शेख हसीना के पिता, शेख मुजीबुर रहमान, बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति थे। उन्हें “बंगबंधु” के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “बंगाल के मित्र”। शेख मुजीब ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
15 अगस्त 1975 को, शेख मुजीब और उनके परिवार के अधिकांश सदस्य एक सैनिक विद्रोह में मारे गए थे। इस घटना में शेख हसीना और उनकी बहन शेख रেহाना बच गई थीं क्योंकि वे उस समय विदेश में थीं।
शेख हसीना के बच्चे
शेख हसीना के दो बच्चे हैं: एक बेटा और एक बेटी। उनके बेटे का नाम सजीब वाजिद जॉय है और उनकी बेटी का नाम सैमा वाजिद हुसैन है।
सजीब वाजिद जॉय
सजीब वाजिद जॉय का जन्म 27 जुलाई 1971 को हुआ था। वे एक आईटी विशेषज्ञ और उद्यमी हैं। जॉय ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है। वे बांग्लादेश सरकार के डिजिटल बांग्लादेश पहल के सलाहकार हैं और देश को डिजिटल युग में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सैमा वाजिद हुसैन
सैमा वाजिद हुसैन का जन्म 9 दिसंबर 1972 को हुआ था। वे एक पेशेवर मनोवैज्ञानिक हैं और मानसिक स्वास्थ्य और विकास विकारों के क्षेत्र में काम करती हैं। सैमा ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की है। वे बांग्लादेश में ऑटिज्म और अन्य विकास विकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
निष्कर्ष
शेख हसीना की राजनीतिक यात्रा संघर्ष और चुनौतियों से भरी रही है, लेकिन उनकी दृढ़ता और नेतृत्व ने उन्हें बांग्लादेश की सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बना दिया है। उनकी सरकार ने देश को आर्थिक, सामाजिक और डिजिटल प्रगति की दिशा में अग्रसर किया है। उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की विरासत और उनके बच्चों की प्रगति, बांग्लादेश के भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखती है।
शेख हसीना की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक व्यक्ति का संकल्प और नेतृत्व एक पूरे देश को बदल सकता है। उनकी यात्रा बांग्लादेश और दुनिया के अन्य देशों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
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